Tuesday, April 13, 2021

संवत 2078

***
चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा,है हिन्दू नववर्ष।
नव संवत प्रारंभ है ,हो जीवन में हर्ष ।।
संवत 'राक्षस' वर्ष में ,'मंगल' हैं भूपाल,
मंगल ही मंत्री बने, करें जगत उत्कर्ष ।।
***
गुड़ी ,उगाड़ी पर्व अरु,भगवन झूले लाल।
नौ दिन का उत्सव रहे ,नव संवत के साल।।
रचे विधाता सृष्टि ये ,प्रथम विष्णु अवतार ,
अठहत्तर नव वर्ष में ,उन्नत हो अब काल।।
***
नौरातों  में प्रार्थना ,माँ आओ  उर धाम ।
करे कलश की स्थापना,पूजें नवमी राम ।।
कष्टहारिणी मातु का ,वंदन बारम्बार ,
कृपा करो वरदायिनी,पूरे  मङ्गल काम ।।
***
धर्म ,कर्म उपवास से ,बढ़ता मन विश्वास।
अन्तर्मन की  शुद्धता ,जीवन में उल्लास।।
पूजें अब गणगौर को ,मांगे अमर सुहाग,
छोड़ जगत की वेदना,रखिये मन में आस।।
**
कली ,पुष्प अरु मंजरी,से सुरभित संसार ।
कोयल कूके बाग में ,बहती मुग्ध बयार ।।
पके अन्न हैं खेत में ,छाये नव  उत्साह ,
मधुर रागिनी छेड़ के,धरा करे श्रृंगार ।।

अनिता सुधीर आख्या

16 comments:

  1. आ0 रचना के स्थान देने के लिये हार्दिक आभार

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  2. veerusa.blogspot.com

    शुंभभावना मांगलिकता से सिंचित सांस्कृतिक पार्विक आलोड़न करती छंदबद्ध रचना है अनिता सुधीर आख्या की ,पूरा आख्यान है तीज त्यौहार कथा है यहां परम्परा और संस्कृति के मूल तत्व हैं यहां तग्य हैं कवित्री

    संवत 2078
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    चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा,है हिन्दू नववर्ष।
    नव संवत प्रारंभ है ,हो जीवन में हर्ष ।।
    संवत 'राक्षस' वर्ष में ,'मंगल' हैं भूपाल,
    मंगल ही मंत्री बने, करें जगत उत्कर्ष ।।
    ***
    गुड़ी ,उगाड़ी पर्व अरु,भगवन झूले लाल।
    नौ दिन का उत्सव रहे ,नव संवत के साल।।
    रचे विधाता सृष्टि ये ,प्रथम विष्णु अवतार ,
    अठहत्तर नव वर्ष में ,उन्नत हो अब काल।।
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    नौरातों में प्रार्थना ,माँ आओ उर धाम ।
    करे कलश की स्थापना,पूजें नवमी राम ।।
    कष्टहारिणी मातु का ,वंदन बारम्बार ,
    कृपा करो वरदायिनी,पूरे मङ्गल काम ।।
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    धर्म ,कर्म उपवास से ,बढ़ता मन विश्वास।
    अन्तर्मन की शुद्धता ,जीवन में उल्लास।।
    पूजें अब गणगौर को ,मांगे अमर सुहाग,
    छोड़ जगत की वेदना,रखिये मन में आस।।
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    कली ,पुष्प अरु मंजरी,से सुरभित संसार ।
    कोयल कूके बाग में ,बहती मुग्ध बयार ।।
    पके अन्न हैं खेत में ,छाये नव उत्साह ,
    मधुर रागिनी छेड़ के,धरा करे श्रृंगार ।।

    अनिता सुधीर आख्या

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  3. हार्दिक आभार आ0

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  4. मातारानी और भारत की संस्कृति को समर्पित बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीया अनीता जी। हमारी प्रार्थना मातारानी तक पहुँचे और जनजीवन समान्य हो जाये यही कामना करती हूँ। आपको भी नववर्ष और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये।

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  5. बहुत बहुत सुंदर सखी आपकी लेखनी अद्भुत है।
    नववर्ष एंव चैत्रीय नवरात्रि पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं।

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  6. बहुत सुन्दर सृजन।

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  7. जी हार्दिक आभार

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  8. नौरातों में प्रार्थना ,माँ आओ उर धाम ।
    करे कलश की स्थापना,पूजें नवमी राम ।।
    कष्टहारिणी मातु का ,वंदन बारम्बार ,
    कृपा करो वरदायिनी,पूरे मङ्गल काम ।।

    सुन्दर लेखन . गहरे भाव

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संसद

मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...