गीत
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माटी मेरे देश की,है मेरा अभिमान।
अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।
स्वर्ण मुकुट हिमगिरि सजे,सागर पैर पखार।
मानचित्र अभिमान को,व्याघ्र सरिस व्यवहार।
संविधान इस देश का ,देता सम अधिकार ।
देश एक, ध्वज एक हो,मौलिकता हो सार ।।
संस्कृति उत्तम देश की,इस पर हैअभिमान।।
अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।
सर्व धर्म सद्भाव हो ,करिये यही विचार।
भारत के निर्माण में ,रहे एकता सार ।।
मातृभूमि रज भाल पर ,वंदन बारम्बार,
लिये तिरंगा हाथ में,करते जय जयकार।
जयभारत जयहिंद का,सब मिल करिये गान ,
अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।
श्वेत शांति अरु केसरी,बलिदानी का रूप।
रंग हरा संपन्नता,भारतवासी भूप।।
रखिये इसको ध्यान में,खादी वस्त्र विचार।
देशी को अपनाइये,शुद्ध रहे आचार।।
स्वच्छता अभियान हो ,जन जन की पहचान ।
अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।
देशप्रेम कर्तव्य हो ,देशभक्ति ही नेह।
पंचतत्व में लीन हों,ओढ़ तिरंगा देह।।
अपने हित को साधिये,सदा देश उपरांत ।
देशप्रेम अनमोल है ,अडिग रहे सिद्धान्त।।
मातृभूमि अभिमान है,अमर तिरंगा शान ।
अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।
अनिता सुधीर आख्या
अति सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteदेश प्रेम से ओत प्रोत प्रस्तुति
ReplyDeleteबधाई आपको 🙏🙏💐💐
जय हिंद
ReplyDeleteBahut Bahut Sundar Panktiyan
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
Deleteगीत निश्चय ही श्रेष्ठ है क्योंकि भारत की पहचान तो अनेकता में एकता ही है। किन्तु इस भाव को मन, वचन एवं कर्म में उतारने की महती आवश्यकता है। गीत का भाव हृदयंगम होकर व्यवहार में परिलक्षित हो, तभी इसकी सार्थकता होगी।
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