Wednesday, August 16, 2023

धन


 "मदिरा सवैया" 


**


तृप्ति क्षुधा धन से कब हो,धनवान करोड़ डकार रहे।

लोभ बढ़ाकर पाप करें, कितना वह पैर पसार रहे।।

जीवन में अँधियार भरे, कुल का नित मान उतार रहे।

भूल गए असली धन को, कब सत्य प्रताप विचार रहे?


अनिता सुधीर आख्या

    



No comments:

Post a Comment

करवा चौथ

करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं  प्रणय के राग गाने को,गगन में चाँद आता है। अमर अहिवात जन्मों तक,सुहागन को सुनाता है।। करे शृंगार जब नारी,कलाए...