चुभन
उर में जब जब पीर उठी,कलम मिटाती रही तपन।
शब्दों ने आगाज किया,भाव दिखाते जब तड़पन।।
हृदय पृष्ठ ऐसे भीगा,फिर भी मन उपवन सूखा
कोई कब यह पूछे है,क्या पृष्ठों को हुई चुभन?
अनिता सुधीर आख्या
कुंडलिया दिवस की बधाई ईश्वर अंतर्यामी ईश में,निहित अखिल ब्रह्मांड। निराकार के रूप में,अद्भुत अर्थ प्रकांड ।। अद्भुत अर्थ प्रकांड,जगत के नीत...
वाह! बहुत खूब।
ReplyDelete