चुभन
उर में जब जब पीर उठी,कलम मिटाती रही तपन।
शब्दों ने आगाज किया,भाव दिखाते जब तड़पन।।
हृदय पृष्ठ ऐसे भीगा,फिर भी मन उपवन सूखा
कोई कब यह पूछे है,क्या पृष्ठों को हुई चुभन?
अनिता सुधीर आख्या
साइबर अपराध आल्हा छंद दुष्ट प्रवृत्तियां दुष्कर्मों से,करें मनुज का नित नुकसान। जिसकी फितरत ही ओछी हो,लाभ कहां दे तब विज्ञान।। इंटरनेट कंप्...
वाह! बहुत खूब।
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