मुक्तक
माँ जन्मी अपने तन जब,वह भाव अघाती है।
सृजन पीर माधुर्य लिए,नित प्रीति लगाती है।।
करे गर्भ जब अठखेली,धड़कन सरगम बनती,
कोख सींच आशाओं से,मन द्वार सजाती है।।
अनिता सुधीर आख्या
कुंडलिया दिवस की बधाई ईश्वर अंतर्यामी ईश में,निहित अखिल ब्रह्मांड। निराकार के रूप में,अद्भुत अर्थ प्रकांड ।। अद्भुत अर्थ प्रकांड,जगत के नीत...
सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार
ReplyDelete