Saturday, March 27, 2021

होली

होली

उल्लाला उल्लाल है,फागुन रक्तिम गाल हैं।
कहीं लाज से लाल है,कहीं बाल की खाल है।।

मन बासंती हो रहा,कोयल कुहुके डाल है।
लगे झूलने बौर अब ,मस्त भ्रमर की चाल है।।

पिचकारी हो प्रेम की,जीवन होली रंग हो।
दहन कष्ट का हो सभी,नहीं रंग में भंग हो।।

रूप धरे विश्वास का,आया अब प्रह्लाद है।
अंत बुराई का सदा,यही गूँजता नाद है ।।

होली की इस अग्नि में,राग द्वेष सब भस्म हो।
कर्म यज्ञ हो जीवनी,जीवन की ये रस्म हो।

अनिता सुधीर आख्या

12 comments:

  1. मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार आ0

    होली की शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  2. मुग्ध करती रंग बिखेरती रचना - - शुभकामनाओं सह।

    ReplyDelete
  3. आदरणीया अनीता सुधीर जी, होली की अशेष शुभकामनाएँ
    बहुत ही सुन्दर सृजन हेतु साधुवाद। ।।।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप को भी होली की शुभकामनाएं

      Delete

  4. होली की इस अग्नि में,राग द्वेष सब भस्म हो।
    कर्म यज्ञ हो जीवनी,जीवन की ये रस्म हो।
    ...होली के रंगों में डूबी सुंदर संदेश भरी रचना, होली की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आ0
      आपको भी शुभकामनाएं

      Delete
  5. होली की शुभकामनायें

    ReplyDelete

संसद

मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...