Wednesday, July 28, 2021

सावन

सावन 
दोहे

धानी चूनर ओढ़ के,धरा रचाये रास।
बागों में झूले पड़े ,सावन है मधुमास ।।

कुहू कुहू कोयल करे,वन में नाचे मोर।
भीगे सावन रात में,दादुर करते शोर।।

बूँदों का संगीत सुन ,मन में है उल्लास।
प्रेम अगन में तन जले,साजन आओ पास।।

बदरा बरसे  नेह के ,सुनकर राग मल्हार।
कजरी सुन हुलसे हिया, मनें तीज त्योहार।

धीरे झूलो कामिनी, चूड़ी करती शोर ।
मन पाखी सा उड़ रहा,पकड़े दूजा छोर।।

शंकर आदि अनंत हैं,पावन सावन मास।
पूजे सावन सोम जो ,पूरी हो सब आस ।।

मंदिर मंदिर सज गये,चलें शम्भु के  द्वार।
काँवड़ ले कर चल रहे,श्रद्धा लिये अपार ।।

माला साँपों की गले,कर में लिये त्रिशूल।
सोहे गंगा शीश पर ,शिव हैं जग के मूल।।

डमरू हाथों में लिये,ओढ़े मृग की छाल।
करते ताण्डव नृत्य जब,रूप धरें विकराल।।

महिमा द्वादश लिंग की ,अद्भुत अपरम्पार।
चरणों में शिवशम्भु के,विनती बारम्बार ।।

अनिता सुधीर आख्या

3 comments:

  1. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना ।मंगल आशीष ।

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