पर्यावरण/ वृक्षारोपण
प्राण वायु देता रहे ,विटप करे उपकार।।
वृक्षारोपण सब करें,ये जीवन आधार।
वृक्ष काटते जा रहे ,पारा हुआ पचास।
जीव जगत व्याकुल हुआ ,शीतलता का ह्रास।।
धरती बंजर हो रही ,बचा न खग का ठौर।
बढ़ा प्रदूषण रोग दे ,करिये इसपर गौर ।।
श्वसन तंत्र बाधित हुआ,पड़ा मनुज बीमार।
वृक्षारोपण सब करें,ये जीवन आधार।।
क्षरण मृदा का जो रुके ,लगे बाढ़ पर रोक।
वृक्षों का रोपण करें,तभी मिटेगा शोक । ।
माटी को बाँधे जड़ें ,रोके मृदा कटाव ।
स्वच्छ नदी की तलहटी,रोके बाढ़ बहाव।।
विकट प्राकृतिक आपदा ,इस पर करें विचार।।
वृक्षारोपण सब करें,ये जीवन आधार।।
औषध गुण भरपूर है,भोजन का भंडार।
देख भाल उत्तम करें,करिये प्यार दुलार।।
देव रूप में पूजिये,वृक्ष धरा की शान।
संतति जैसे मानिये ,करें मान सम्मान।।
सरकारें लाचार हैं ,आप लीजिए भार।
वृक्षारोपण सब करें,ये जीवन आधार।।
अनिता सुधीर आख्या
अति सुंदर एवं सार्थक सृजन 💐💐💐💐
ReplyDeleteसादर धन्यवाद दीप्ति जी
Deleteअत्यंत सुंदर, सार्थक दोहा गीत🙏
ReplyDeleteबहुत ही सारगर्भित अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteसुंदर और अर्थपूर्ण सृजन
ReplyDeleteवाह
पर्यावरण और प्राकृति को बाखूबी उकेरा है इन दोहों में ...
ReplyDeleteआपकी यह रचना प्रशंसनीय है.....
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