Sunday, January 26, 2020

तिरंगा


चौराहों, बाजारों  में बिकते
तिरंगे  का रंग स्वरूप आकार
जाने कब कहाँ खो गया ।
कुछ अनगढ़ हाथों  से
केसरिया से लाल तो
जाने कब का हो गया।
कभी कहीं आयत से गोल,
कही हरा केसरिये से
ऊपर हो गया ।
जिन्हें तिरंगे का भान नही
वो सम्मान कहाँ कर पाएंगे।
हम देशभक्ति दिखलाते है
मोलभाव कर ,विजयी हो
उस गरीब से
तिरंगा खरीद लाते है।
जो अनमोल तिरंगे का मोल लगाया
तो वो सम्मान कहाँ  दे पायेंगे ।
दो घंटे मे आजादी मना स्कूलों
में झंडा  फहराते है ,
टेम्पो रिक्शा की शान बढ़ा
सड़को पर पड़ा
 पैरो से कुचला जाता है
तो तिरंगा नही
सम्मान देश का पैरो तले
रौंदा जाता है ।
जब आजादी का पर्व  मनाना
तो तिरंगा उन्हें सौपना
जो कर सके इसकी हिफाजत ,
इसका सम्मान करना बतला देना ।
ये महज कागज का टुकड़ा नही
प्रतीक है हमारी अस्मिता का
हमारी निष्ठा  ,आत्मा ये
देशभक्ति रगों में भर देना ।

15 comments:

  1. जब आजादी का पर्व मनाना
    तो तिरंगा उन्हें सौपना
    जो कर सके इसकी हिफाजत ,

    उचित कहा,
    जो भ्रष्ट हो, जातीय- मजहबी राजनीति करते हो, हमारे शहीदों के शौर्य पर सत्ताभोग करते हो, इन्हें तिरंगा मत सौंपना, यह कागज का कोई खिलौना नहीं कि मन भर गया और फेंक दो।

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  2. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(28-01-2020 ) को " चालीस लाख कदम "(चर्चा अंक - 3594) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ...
    कामिनी सिन्हा

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  3. बहुत सुंदर हैं आपके विचार।

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  4. आ0 हार्दिक आभार

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  5. चौराहों, बाजारों में बिकते
    तिरंगे का रंग स्वरूप आकार
    जाने कब कहाँ खो गया ।
    कुछ अनगढ़ हाथों से
    केसरिया से लाल तो
    जाने कब का हो गया।

    सटीक

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  6. सुन्दर प्रस्तुति

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  7. जी हार्दिक आभार

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  8. जी मन की बात कह दी आपने वह भी इतनी खूबसूरती से....एकदम सटीक ....राहों में पड़े तिरंगे देखकर यही भाव आये थे मन में ....
    बेशकीमती तिरंगा इतना सस्ता जब बिक रहा है तो देश की अस्मिता को इससे जोड़ेगा कौन....???
    बहुत ही सारगर्भित सृजन।

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    Replies
    1. आ0 आप के मन तक पहुँच सके ,और आपको पसंद आयी ,इसके।लिए सादर धन्यवाद

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  9. सार्थक चिंतन ! बहुत सामायिक और सटीक ,
    बहुत बहुत सुंदर।

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  10. वाह!बहुत खूब👌

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