Friday, January 31, 2020

यादें

बीती यादें कोष में ,मिले जुले हैं भाव ।
कुछ यादों से सुख मिले,कुछ से रिसते घाव ।
कुछ से रिसते घाव,भूलना इनको चाहा ।
कब तक सुनें कराह,किया घावों को स्वाहा।
कहती अनु ये बात ,गरल वो कब तक पीती।
जीवन की अब साँझ ,भुलाईं बातें बीती ।

बातें छोटी ही सही,बिगड़ रहे सम्बन्ध।
सहन शक्ति का ह्रास हैं,छूटा जाये स्कंध।
छूटा जाये स्कंध,बने थे  कभी सहारा ।
हुई अहम की जीत,छूटता साथी प्यारा।
बीत गया वो काल,सुखद थी बीती रातें ।
लायें वही प्रभात,भूलिये छोटी बातें ।

©anita_sudhir

4 comments:

  1. यादें, सुन्दर पहलुओं को उकेरती रचना।

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  2. बेहतरीन प्रस्तुति

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दीप

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