Tuesday, May 12, 2020

मंगल यात्रा

नवगीत

आज से train का संचालन  आरम्भ हो रहा है ,जीवंतता का एक खूबसूरत एहसास है  ,इसी को लिखने का प्रयास
***

सत्य सलोना सुंदर सरगम
आस लगाए शहनाई

पटरी पर छुक छुक करता जब
 नव जीवन भागा दौड़ा
कालापानी के चंगुल से
 अब इसने नाता तोड़ा
विस्मृत स्मृतियाँ कालखंड की
सुखद भावना  हरषाई
सत्य सलोना सुंदर सरगम
आस लगाए शहनाई

रुका हुआ नदिया का पानी
सागर से मिलना चाहे
पथराई आँखो के किस्से
में खूब भरी है आहें
आस मिलन की प्रियजन से अब
उड़न खटोले पर आई
सत्य सलोना सुंदर सरगम
साज सजाती शहनाई

अनगिन पापड़ बेले सबने
मेघ सुखाते हैं आकर
एक सुनहरी धूप उतरती
खिलता सुख ऊर्जा पाकर
कोमल मादक मस्त महकती
कलियाँ अब ले अँगड़ाई
सत्य सलोना सुंदर सरगम
आस लगाए शहनाई।

अनिता सुधीर आख्या































15 comments:


  1. शहनाई तो कोरोना के खात्मे के साथ ही बजेगी
    बहुत सुन्दर सामयिक नवगीत

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  2. कोरोना के काल में
    सामयिक और सुन्दर गीत।

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  3. मुझे आपकी रचना बहुत ही पसंद आई ,बहुत ही सुंदर लिखा है ,बधाई हो

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    Replies
    1. जी आ0 हार्दिक आभार

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  4. बेहतरीन नवगीत

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  5. कुछ अपनों से मिले कुछ बाकी हैं ,सुंदर एहसासों से भरा सृजन सादर नमन

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  6. जी हार्दिक आभार आपका

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  7. बहुत खूबसूरत शब्दों का चयन और उन्हें एक माला में पिरोता गया है।

    बहुत खूब, युहीं लिखते रहें।

    💐💐💐

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  8. बेहतरीन गीत।

    सादर

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  9. बहुत सुंदर सृजन आदरणीय दीदी.

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