Saturday, May 16, 2020

त्रासदी



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ठूँठ जगत के चेतन मन को
सुना नीति की बाँसुरिया

राजनीति के तपे तवे पर
गरम रोटियां जब सिकती
तब पाँवों के उन छालों से
व्यथा भाप बन कर फिकती
हृदय यंत्र तब छुप छुप रोते
नाद बुलाते साँवरिया
ठूँठ जगत के चेतन मन को
सुना नीति की बाँसुरिया

सात सुरों की सरगम मध्यम
मौतें सप्तम स्वर गाये
काल क्रूर जब स्वप्न कुचलते
राग गीत कैसे भाये
तप्त दुपहरी ज्येष्ठ दिखाये
मोड़ मोड़ पर काँवरिया
ठूँठ जगत के चेतन मन को
सुना नीति की बाँसुरिया


कर्ण द्वार जब सुनें मल्हार
दृगजल की बरसात हुई
स्वर कंपित हो अधर मौन तब
आज भयावह रात हुई
प्राण फूँक तुम कर्म गीत के
प्रीत भरो अब अंजुरिया
ठूँठ जगत के चेतन मन को
सुना नीति की बाँसुरिया


अनिता सुधीर आख्या

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