Saturday, May 30, 2020

हिंदी पत्रकारिता दिवस*


*
पत्रकारिता  /पत्रकार
दोहा छन्द

*तीस मई* शुभ दिन रहा ,लिखा गया इतिहास।
समाचार *मार्तण्ड* ने ,उर में भरा हुलास  ।।

लिए कलम की धार जो,बनता पहरेदार।
पत्रकार निष्पक्ष हो ,लड़े बिना तलवार ।।

डोर सत्य की थामता,कहलाता है स्तंभ।
शुचिता का संचार हो ,नहीं मिला हो दम्भ।।

साहस संयम ही रहे ,पत्रकारिता मान।
सोच,विषय संवाद से,मिले नयी पहचान ।।

परिवर्तन के दौर में ,माध्यम हुए अनेक ।
समाचार की सत्यता,होती अब व्यतिरेक।।

प्रौढ़ कलम दम तोड़ती,बिकी कलम जब आज।
भटक गयी उद्देश्य से,रोता रहा समाज ।।

नया कलेवर डाल के,भूली सहज प्रवाह ।
पूंजीपति के कैद  में ,ढूँढे झूठ गवाह ।।

जोड़ तोड़ अब मत करें,पहले समझें कथ्य।
मिले वही पहचान फिर,सत्य लिखें अब तथ्य।।

अनिता सुधीर आख्या

17 comments:

  1. बहुत सुन्दर। पत्रकारिता दिवस की बधाई हो।

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    1. जी आ0 हार्दिक आभार

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    1. जी आ0 हार्दिक आभार

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  3. बहुत सुन्दर

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    1. जी आ0 हार्दिक आभार

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  4. जी आ0 हार्दिक आभार

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  5. वाह अनीता जी, प्रौढ़ कलम दम तोड़ती,बिकी कलम जब आज।
    भटक गयी उद्देश्य से,रोता रहा समाज ।।

    नया कलेवर डाल के,भूली सहज प्रवाह ।
    पूंजीपति के कैद में ,ढूँढे झूठ गवाह ।। सहज और सारगर्भ‍ित बात ... बहुत खूब

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  6. वाह !लाजवाब सृजन आदरणीय दीदी.
    सादर

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  7. आदरणीया अनीता सुधीर जी, आपने सटीक और सार्थक दोहों का सृजन किया है। आपकी ये पंक्तियाँ :
    प्रौढ़ कलम दम तोड़ती,बिकी कलम जब आज।
    भटक गयी उद्देश्य से,रोता रहा समाज ।। लाजवाब हैं ! --ब्रजेन्द्र नाथ

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  8. सुन्दर दफा सृजन ... पत्रकारिता दिवस की बधाई ...

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    1. जी आ0 हार्दिक आभार

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  9. ढ़ कलम दम तोड़ती,बिकी कलम जब आज।
    भटक गयी उद्देश्य से,रोता रहा समाज



    सुन्दर सृजन ... पत्रकारिता दिवस की बधाई ...

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    1. जी आ0 हार्दिक आभार

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