नवगीत
बूंदो की वो सोंधी स्मृतियां
महक उठी अब माटी पाकर
उन गलियों में याद दौड़ती
छुप छुप के नंगे पाँवों से ,
शूल चुभाते कुछ किस्से थे
तब गन्ध उठी उन घावों से ।
कटी प्याज सी खुश्बू यादें
ठहर गयी आँखो में आकर
बूंदो की सोंधी स्मृतियां
महक उठी अब माटी पाकर।
भानुमती का खोल पिटारा
अनगिन यादें आज खँगाली।
उमड़ घुमड़ कर मेघा बरसे
नैना बनते आज सवाली ।।
मौन खड़ा सब झेल रहा मन
याद बनाती जब भी चाकर
बूंदो की सोंधी स्मृतियां
महक उठी अब माटी पाकर
खाद पड़ी थी विष बेलों पर
अमर याद ये बढ़ती जाती,
लिपट वल्लरी उन खंभों पर
अनचाहे ही चढ़ती जाती
सदा फूलती फलती रहती
बिना नीर के दुख को खाकर
बूंदो की सोंधी स्मृतियां
महक उठी अब माटी पाकर।
अनिता सुधीर आख्या
बूंदो की वो सोंधी स्मृतियां
महक उठी अब माटी पाकर
उन गलियों में याद दौड़ती
छुप छुप के नंगे पाँवों से ,
शूल चुभाते कुछ किस्से थे
तब गन्ध उठी उन घावों से ।
कटी प्याज सी खुश्बू यादें
ठहर गयी आँखो में आकर
बूंदो की सोंधी स्मृतियां
महक उठी अब माटी पाकर।
भानुमती का खोल पिटारा
अनगिन यादें आज खँगाली।
उमड़ घुमड़ कर मेघा बरसे
नैना बनते आज सवाली ।।
मौन खड़ा सब झेल रहा मन
याद बनाती जब भी चाकर
बूंदो की सोंधी स्मृतियां
महक उठी अब माटी पाकर
खाद पड़ी थी विष बेलों पर
अमर याद ये बढ़ती जाती,
लिपट वल्लरी उन खंभों पर
अनचाहे ही चढ़ती जाती
सदा फूलती फलती रहती
बिना नीर के दुख को खाकर
बूंदो की सोंधी स्मृतियां
महक उठी अब माटी पाकर।
अनिता सुधीर आख्या
कटी प्याज सी खुश्बू यादें
ReplyDeleteठहर गयी आँखो में आकर ... अतुल्य बिम्बों की बौछार से भरी हुई रचना/विचार ...
जी आ0 हार्दिक आभार
Deleteसुन्दर गीत
ReplyDeleteजी आ0 हार्दिक आभार
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