Tuesday, October 6, 2020

कोहरा


कोहरा 
छन्द मुक्त
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कोहरे के माध्यम से आज की समस्याओं और समाधान पर लिखने का प्रयास किया है 
कई शब्द अपने मे गहन अर्थ समेटे है आप की प्रतिक्रिया अपेक्षित है।
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जब उष्णता में आये कमी
अवशोषित कर वो नमी
रगों में सिहरन का 
एहसास दिलाये
दृश्यता का ह्रास कराता 
सफर को कठिन बनाता है
कोहरा चारों ओर फैलता जाता है।
संयम से सजग हो
निकट धुंध के  जाओ..
 और भीतर तक जाओ
कोहरे ने सूरज नहीं निगला है
 सूरज की उष्णता निगल 
लेगी कोहरे को ।
सामाजिक ,राजनीतिक
परिदृश्य भी त्रास से
धुंधलाता जा रहा 
रिश्तों की धरातल पर
स्वार्थ का कोहरा छा रहा
संबंधों की कम हो रही उष्णता
अविश्वास द्वेष की बढ़ रही आद्रता
कड़वाहट बन सिहरन दे रही 
विश्वास ,प्रेम की  किरणें 
लिए अंदर जाते  जाओ
दूर से देखने पर 
सब धुंधला है
पास आते जाओगे 
दृश्यता  बढ़ती जायेगी
तस्वीर साफ नजर आएगी।


अनिता सुधीर आख्या

10 comments:

  1. अगला नहीं देख पा (आ) रहा, तो खुद कोशिश करो पास जाने की ! बहुतेरी बार थमी हवा (संवादहीनता) से भी कोहरा घना हो जाता है

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    1. जी सत्य कहा
      हार्दिक आभार

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (07-10-2020) को   "जीवन है बस पाना-खोना "    (चर्चा अंक - 3847)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री

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  3. जब उष्णता में आये कमी
    अवशोषित कर वो नमी
    रगों में सिहरन का
    एहसास दिलाये
    दृश्यता का ह्रास कराता
    सफर को कठिन बनाता है
    कोहरा चारों ओर फैलता जाता है।
    सचमुच बेहतरीन तरीके से आपने कोहरे के माध्यम से अपने सामाजिक जीवन के धुंधलेपन को दिखाने की कोशिश की है। कुछ भी आज के परिवेश में सत्य प्रतीत नहीं होता। झूठ हो या सत्य, सभी एक कोहरे के पीछे छुपा है। फिर भी मुझे विश्वास है कि सत्य, एक ना एक दिन झूठ को परास्त कर ही देगी, और कुहरे का साम्राज्य समाप्त होगा।
    साधुवाद व शुभकामनाएँ .....

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  4. बहुत ही मर्मस्पर्शी कविताएँ हैं आपकी - - दिल की गहराइयों से निकली हुईं - - नमन सह।

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  5. बहुत सुन्दर रचना

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