Sunday, May 8, 2022

मातृ दिवस विशेष



*भाग्यशालिनी*
(वो माँ भाग्यशालिनी है जब स्वयं की संतान माँ का रूप धर उनकी देखभाल करे)

सौभाग्य सुलाता माता को
जब बच्चे लोरी गाएँ।

मेरी माँ मेरे अंदर है
सदा रही उनके जैसी
चक्र समय का चलता जाता
संतति राह चले वैसी
मातु भाव में संसार निहित
शब्द नहीं इसको पाएँ।।

ऊँगली पकड़े चलना सीखा
कदम कदम पर डाँट पड़ी
हाथ पकड़ अब सुता चलाये 
निर्देशों की लगी झड़ी
स्वर्ग मिला था मातु गोद में 
सुत ये अब भान कराये।।

पीर मातु ने सदा छुपाई
कितने कष्ट सहे थे तब 
व्यथा झेल कर कष्ट छुपाते
वही करें औलादें अब 
जब संतति माँ का रूप धरें
हृदय झूम नभ छू आए।


अनिता सुधीर

10 comments:

  1. बहुत सुंदर भाव हैं।

    ReplyDelete
  2. बहुत खूबसूरत वर्णन

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर है भाव मां का प्यार कभी नहीं भुलाया जा सकता

    ReplyDelete
  4. जब संतति मां का रूप धरे। भाव पूर्ण

    ReplyDelete
  5. अत्यंत भावपूर्ण एवं हृदयस्पर्शी सृजन 💐💐💐🙏🏼

    ReplyDelete
  6. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 09 मई 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    ReplyDelete
  7. जब हम स्वयं माँ-बाप बनते हैं तब माँ क्या होती है, अच्छे से समझ पाते हैं

    ReplyDelete
  8. बहुत बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  9. अत्यंत सुंदर 👌

    ReplyDelete

देव दीपावली

दीप माला की छटा से,घाट सारे जगमगाएं। देव की दीपावली है,हम सभी मिल कर मनाएं।। भक्ति की डुबकी लगाएं,पावनी जल गंग में जब, दूर करके उर तमस को,दि...