**मेहंदी
बड़ी जद्दोजहद हुआ करती थी
तब हिना का रंग चढ़ाने में,
हरी पत्तियों को बारीक पीसना
लसलसे लेप बना कर
सींक से आड़ी तिरछी रेखाओं को उकेरना ,
फूल,पत्ती ,चाँद सितारे ,बना उसमें अक्स ढूंढना
मेहंदी की भीनी खुश्बू से सराबोर हो जाना ।
सूखने और रचने के बीच के समय में
दादी का प्यार से खाना खिलाना ,
कपड़े में लगने पर माँ की डांट खाते जाना
सब साथ साथ चला करता था।
सहेलियों के चुहलबाजी का विषय
रची मेहंदी के रंग से पति का प्यार बताना
भूला बिसरा अब याद आता है ।
तीज त्यौहार की शान है मेहंदी
सौभाग्य का सूचक मेहंदी ,
स्वयं पिसती और कष्ट सह,
दूसरों की झोली खुशियों से भरती मेहंदी।
दुल्हन की डोली सजती,
पिया को लुभाती है मेहंदी
पुरातन काल से रचती आ रही मेहंदी
उल्लास से हाथों में सजती आ रही मेहंदी।
समय बदला ,हिना का रंग बदला!
अब मेहंदी गाढ़ी ,गहरी रच जाती है
शायद प्राकृतिक रूप खो चुकी है
इसीलिये दो दिन में बेरौनक हो जाती है।
अब पिसने के बाद रंग नहीं आता
तो प्यार का रंग नहीं बता पाती
इस लगने और रचने के बीच
कोई बहुत पास होता है
जो हाथ की लकीरों में रचा बसा होता है
और उससे ही होती है हाथों में मेहंदी ।
©anita_sudhir
बड़ी जद्दोजहद हुआ करती थी
तब हिना का रंग चढ़ाने में,
हरी पत्तियों को बारीक पीसना
लसलसे लेप बना कर
सींक से आड़ी तिरछी रेखाओं को उकेरना ,
फूल,पत्ती ,चाँद सितारे ,बना उसमें अक्स ढूंढना
मेहंदी की भीनी खुश्बू से सराबोर हो जाना ।
सूखने और रचने के बीच के समय में
दादी का प्यार से खाना खिलाना ,
कपड़े में लगने पर माँ की डांट खाते जाना
सब साथ साथ चला करता था।
सहेलियों के चुहलबाजी का विषय
रची मेहंदी के रंग से पति का प्यार बताना
भूला बिसरा अब याद आता है ।
तीज त्यौहार की शान है मेहंदी
सौभाग्य का सूचक मेहंदी ,
स्वयं पिसती और कष्ट सह,
दूसरों की झोली खुशियों से भरती मेहंदी।
दुल्हन की डोली सजती,
पिया को लुभाती है मेहंदी
पुरातन काल से रचती आ रही मेहंदी
उल्लास से हाथों में सजती आ रही मेहंदी।
समय बदला ,हिना का रंग बदला!
अब मेहंदी गाढ़ी ,गहरी रच जाती है
शायद प्राकृतिक रूप खो चुकी है
इसीलिये दो दिन में बेरौनक हो जाती है।
अब पिसने के बाद रंग नहीं आता
तो प्यार का रंग नहीं बता पाती
इस लगने और रचने के बीच
कोई बहुत पास होता है
जो हाथ की लकीरों में रचा बसा होता है
और उससे ही होती है हाथों में मेहंदी ।
©anita_sudhir
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