साथ जो हमने किये थे रतजगे
दिलजलों के अनकहे भी खूब थे ।
ख़्वाब पलकों पर सजाते जो रहे
इश्क़ तेरे फलसफे भी खूब थे ।
अश्क़ जो आखों से उस रोज बहे थे
बादल उस दिन बरसे भी खूब थे ।
अलग राहों पर कदम निकल पड़े है
दरमियां हमारे फासले भी खूब थे ।
जी रहे तन्हाई में कैसे है हम
आप के तो कहकहे भी खूब थे ।
दिलजलों के अनकहे भी खूब थे ।
ख़्वाब पलकों पर सजाते जो रहे
इश्क़ तेरे फलसफे भी खूब थे ।
अश्क़ जो आखों से उस रोज बहे थे
बादल उस दिन बरसे भी खूब थे ।
अलग राहों पर कदम निकल पड़े है
दरमियां हमारे फासले भी खूब थे ।
जी रहे तन्हाई में कैसे है हम
आप के तो कहकहे भी खूब थे ।
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