आज के ज्वलंत विषय और समस्या पर ..
दोहा छन्द गीतिका
विषय प्रदूषण
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बीत गया इस वर्ष का,दीपों का त्यौहार।
वायु प्रदूषण बढ़ रहा ,जन मानस बीमार ।।
दोष पराली पर लगे ,कारण सँग कुछ और।
जड़ तक पहुँचे ही नहीं ,कैसे हो उपचार ।।
बिन मानक क्यों चल रहे ,ढाबे अरु उद्योग ।
सँख्या वाहन की बढ़ी ,इस पर करो विचार।।
कचरे के पहाड़ खड़े ,सुलगे उसमें आग ।
कागज पर बनते नियम ,सरकारें लाचार ।।
विद्यालय बँद हो गये ,लगा आपातकाल ।
दूषित वातावरण में , देश के कर्णधार ।।
व्यथा यही प्रतिवर्ष की ,मनुज हुआ बेहाल।
सुधरे जब पर्यावरण ,तब सुखमय संसार ।।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 03 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteव्यथा यही प्रतिवर्ष की ,मनुज हुआ बेहाल।
ReplyDeleteसुधरे जब पर्यावरण ,तब सुखमय संसार ।।
...बहुत ही सार्थक लेखन। यह समस्या ज्वलंत भी है और जटिल भी। मानव सोंच को नई दिशा देना सरल नहीं होता। मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें आदरणीया ।
आ0 आपकी सराहना के लिए हार्दिक आभार
ReplyDeleteचिंतनीय विषय पर सार्थक रचना . ...शुभकामनाएं आदरणीया
ReplyDeleteजी सादर अभिवादन आ0
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