Sunday, November 10, 2019






नशा
दोहावली

वर्तमान का हाल ये ,फैशन बना शराब।
मातु पिता सँग पी रहे,देते तर्क खराब ।।

दिन भर मजदूरी करें ,पीते शाम शराब ।
पत्नी को फिर पीटते,करते जिगर खराब ।।

देते ये चेतावनी, पीना कहें ख़राब ।
ठेके पर बिकवा रही,शासन स्वयं शराब ।।

सबको  गिरफ्त में लिया ,हुये नशे में चूर ।
जीवन सस्ता हो गया ,हुये सभी से दूर ।।

लोग नशीले  हो रहे ,खाते गुटखा पान ।
नशा मुक्त संसार हो ,ऐसा हो अभियान।।
©anita_sudhir

14 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 10 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. समाज में फैले ये रोग और इसकी जड़ें सुरक्षित करती हमारी मानसिकता पर सही प्रहार किया है आपने।

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  3. सच, नशे की गिरफ्त में आ रही युवा पीढ़ी गंभीर चिंता का विषय है।

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  4. जी ,नशा अल्कोहल से आगे भी बढ़ चुका है
    चिंतनीय

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  5. सार्थक दोहे प्रिय अनीता जी | नशाखोरी ने ना जाने कितने घर तबाह और कितने जीवन लील लिए | माता पिता के साथ नशा करती युवा पीढ़ी समाज का वीभत्स चेहरा दिखाती है जो परम्परागत संस्कारों से कहीं दूर है | हार्दिक शुभकामनायें आपके लिए | पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ |

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    1. रेनु जी मैं कृताथ हुई ,आप आईं आगे भी स्नेह बनाये रखें ।सादर आभार।
      कई पहलूँ को लेने की कोशिश की ,आप भाव तक पहुची सादर अभिवादन

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  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
    iwillrocknow.com

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  7. जी सादर अभिवादन

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  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  9. नशा मुक्त समाज आज की कोरी कल्पना है ...
    फिर भी प्रयास कने में कोई बुराई नहीं है ...

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  10. आपकी प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार

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मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...