नशा
दोहावली
वर्तमान का हाल ये ,फैशन बना शराब।
मातु पिता सँग पी रहे,देते तर्क खराब ।।
दिन भर मजदूरी करें ,पीते शाम शराब ।
पत्नी को फिर पीटते,करते जिगर खराब ।।
देते ये चेतावनी, पीना कहें ख़राब ।
ठेके पर बिकवा रही,शासन स्वयं शराब ।।
सबको गिरफ्त में लिया ,हुये नशे में चूर ।
जीवन सस्ता हो गया ,हुये सभी से दूर ।।
लोग नशीले हो रहे ,खाते गुटखा पान ।
नशा मुक्त संसार हो ,ऐसा हो अभियान।।
©anita_sudhir
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 10 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी सादर अभिवादन
Deleteसमाज में फैले ये रोग और इसकी जड़ें सुरक्षित करती हमारी मानसिकता पर सही प्रहार किया है आपने।
ReplyDeleteजी सादर आभार
ReplyDeleteसच, नशे की गिरफ्त में आ रही युवा पीढ़ी गंभीर चिंता का विषय है।
ReplyDeleteजी ,नशा अल्कोहल से आगे भी बढ़ चुका है
ReplyDeleteचिंतनीय
सार्थक दोहे प्रिय अनीता जी | नशाखोरी ने ना जाने कितने घर तबाह और कितने जीवन लील लिए | माता पिता के साथ नशा करती युवा पीढ़ी समाज का वीभत्स चेहरा दिखाती है जो परम्परागत संस्कारों से कहीं दूर है | हार्दिक शुभकामनायें आपके लिए | पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ |
ReplyDeleteरेनु जी मैं कृताथ हुई ,आप आईं आगे भी स्नेह बनाये रखें ।सादर आभार।
Deleteकई पहलूँ को लेने की कोशिश की ,आप भाव तक पहुची सादर अभिवादन
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
iwillrocknow.com
जी सादर अभिवादन
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteजी धन्यवाद
ReplyDeleteनशा मुक्त समाज आज की कोरी कल्पना है ...
ReplyDeleteफिर भी प्रयास कने में कोई बुराई नहीं है ...
आपकी प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार
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