Sunday, October 31, 2021

सरदार वल्लभ भाई पटेल



जब बँटा भारत था

त्रासदी आयी अति घोर।

लौह वल्लभ ने फिर 

एकता की बाँधी डोर।।

***

दूरदर्शिता सरिस शिवाजी, कूटनीति थी सम कौटिल्य। 

सजग सचेत सदा जीवन में ,नीति निपुणता थी प्राबल्य।।


बने बारडोली के नायक, महिलाएँ कहती सरदार। 

लौह पुरुष थे उच्च श्रृंग पर, लिए अखंडित देश प्रभार।। 


क्रांति करी थी रक्तहीन जो, लोकतंत्र का दे आधार। 

ऐसे नायक बिरले होते, जो जीवन को दें आकार।। 


मूर्ति खड़ी जो एका की है, हर उर में अब धड़कें आप।  

उन्हीं सिद्धांत पर आज चलें, कटे देश के सब संताप। 


नाप सकेगा कौन ऊँचाई,ऐसा बल्लभ भाई नाम। 

भारत रत्न महान रहा जो , नतमस्तक हो उन्हें प्रणाम।।


अनिता सुधीर आख्या

25 comments:

  1. उत्कृष्ट रचना 🙏🙏

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  2. बिरले नायक को प्रणाम

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  3. Bhut खूब सुंदर रचना

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  4. वाह वाह दीदी सुंदर सृजन

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  5. सुन्दर और खूबसूरत।

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  6. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (01 -11-2021 ) को 'कभी तो लगेगी लाटरी तेरी भी' ( चर्चा अंक 4234 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  7. उत्कृष्ट प्रस्तुति !

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  8. लौह पुरुष को समर्पित अमूल्य कृति 🙏🏼💐

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  9. उत्कृष्ट, लौह पुरुष को नमन🙏🙏

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  10. सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि

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  11. पटेल जी के सम्मान में लिखी सुंदर,सराहनीय रचना ।

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    1. सादर आभार जिज्ञासा जी

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