चौमासा/चतुर्मासा
पुरातन मान्यता शुभ है, प्रवाहित भक्ति की धारा।
शयन को विष्णु जी जाते, समय चौमास है न्यारा।।
उमापति ने सँभाला जग, इसी शुभ मास सावन से।
करें कल्याण वो सबका, मने त्योहार पावन से।।
परम शुभ श्रावणी आई, धरा शृंगार करती है।
हरित जब ओढ़ती चूनर ,फुहारें मांग भरतीं हैं।।
सुनी कजरी लुभावन सी, पड़े जो बाग में झूले।
सताती याद पीहर की, सुहाने पल कहाँ भूले ।।
नहीं शुभ कार्य अब होंगे, रहेंगे लीन पूजन में।
लिए काँवर चले सब जन, लगेंगे चित्त वंदन में।।
परम शुभ भाद्र अष्टम को, कन्हैया जी पधारेंगे।
विनायक जी तभी आकर , सभी के कष्ट हारेंगे।।
सुहाना मास अश्विन का, पितर से फिर मिलन होगा।
करें विधिपूर्ण तर्पण जब, कृपा का संचयन होगा।।
कठिन है यह मनुज जीवन ,भटकता है हृदय प्यासा।
मिले नवरात्रि में देवी, अलौकिक है चतुर्मासा।।
अशुभ पर जीत शुभ की कर, अवध में राम आएंगे।
जलेंगे दीप कार्तिक में , तिमिर जग का भगाएंगे।।
मनाते जैन भी इसको, यही चौमास की महिमा ।
तपस्या साधना करते , अहिंसा की रखें गरिमा।।
उठेंगे देव कार्तिक में, घड़ी शुभ कार्य की आयी।
कुशल मंगल रहे जीवन, समझ चौमास से पायी ।।
मनुज अब धार लो संयम, यही विज्ञान भी कहता।
करो उपवास व्रत सारे, नहीं फिर व्याधि को सहता।।
छिपा है भेद गहरा जो, इसी का अर्थ पहचानें।
चतुर्मासा शुभंकारी, यही दर्शन मनुज जाने।।
अनिता सुधीर आख्या
सुन्दर दोहे
ReplyDeletevy rachna.
ReplyDeleteजी शुक्रिया
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