शरद पूर्णिमा विशेष
1)
दोहा
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गहन तिमिर अंतस छटे,धवल प्रबल हो गात।
अमृत की बरसात हो ,शरद चाँदनी रात ।।
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2)
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क्षणिका
शरद पूनम की रात में
अमृत बरसता रहा ,
मानसिक प्रवृतियों के द्वंद में
कुविचारों के हाथ
लग गया अमृत ,
वो अमर होती जा रहीं ।
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3)
छंदमुक्त
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उतरा है फलक से चाँद जो मेरे अंगना
तारों की बारात लेके आओ सजना ,
पूनों की चाँदनी लायी ये पैगाम है
अपनी मुहब्बतों पे तेरा ही नाम है।
अनिता सुधीर
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