उपवास
दोहा छन्द
**
औषधि उत्तम है यही ,रखें एक उपवास ।
चित्त शुद्ध मन शांत हो ,रोगों का हो नास ।।
सार्थक है उपवास जो ,समझें इसका मर्म।
खान पान नियमित करें ,पालन करिये धर्म ।।
खुश होते भगवान जो ,रखने से उपवास ।
रहता भिक्षुक वो सुखी, बैठा मंदिर पास ।।
लिये सत्य की धारणा ,करें मौन उपवास ।
चिंतन गाँधी का भरे ,जन जीवन में आस ।।
महत्व है उपवास का ,समझें इसके बोल।
अन्न त्याग के साथ ही , हो विचार अनमोल ।।
दोहा छन्द
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औषधि उत्तम है यही ,रखें एक उपवास ।
चित्त शुद्ध मन शांत हो ,रोगों का हो नास ।।
सार्थक है उपवास जो ,समझें इसका मर्म।
खान पान नियमित करें ,पालन करिये धर्म ।।
खुश होते भगवान जो ,रखने से उपवास ।
रहता भिक्षुक वो सुखी, बैठा मंदिर पास ।।
लिये सत्य की धारणा ,करें मौन उपवास ।
चिंतन गाँधी का भरे ,जन जीवन में आस ।।
महत्व है उपवास का ,समझें इसके बोल।
अन्न त्याग के साथ ही , हो विचार अनमोल ।।
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