Wednesday, July 19, 2023

एकता


 चित्र गूगल से साभार

कुंडलियां

सपना कुर्सी का लिए,चलें विपक्षी चाल।

बैठक में मतभेद रख,रँगते अपनी खाल।।

रँगते अपनी खाल,लिए भारत का ठेका।

पाने मोटा माल,दिखाते फिर से एका।।

देता विगत प्रमाण,कहाँ कब कोई अपना।

खिँचती है जब टाँग,टूटता प्यारा सपना।।



अनिता सुधीर आख्या


6 comments:

देव दीपावली

दीप माला की छटा से,घाट सारे जगमगाएं। देव की दीपावली है,हम सभी मिल कर मनाएं।। भक्ति की डुबकी लगाएं,पावनी जल गंग में जब, दूर करके उर तमस को,दि...