Thursday, September 12, 2019

शहनाई

दोहा और चौपाई के माध्यम से

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घर अँगना बजते रहें ,शहनाई के साज ।
मधुर सुरों की गूँज से,पूरे मंगल काज ।।

किलकारी से गूँजा आँगन,नन्हीं परी गोद में आई
देख सुंदर सलोना मुखड़ा माँ की ममता हैअकुलाई।
मंगल गीतों से हिय हरषे,तोरण द्वारे द्वारे सजते ।
कलिका बगिया में मुस्काई,देखो गूँज उठी शहनाई।।

ठुमुक ठुमुक कर जब चलती वो,खन खन कर पायल खनकाई।
चन्द्रकला सी बढ़ती जाये ,आती जल्दी क्यों तरुणाई
लेकर हाथों में जयमाला,छोड़ चली बाबुल का अँगना।
बेटी की अब होय विदाई ,देखो गूँज उठी शहनाई ।

शहनाई के साज से ,बसा रहे संसार ।
शुचिता शुभता से मिले ,खुशियों का भंडार।।

©anita_sudhir

1 comment:

  1. सुंदर सरस वात्सल्य रस से भरी सुंदर रचना।

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