Sunday, September 29, 2019

हौसले परवाज हैं   

जीवन सागर की लहरों सा
हर लहर ,कदम इक साज है,
कभी शांत,कभी उथल पुथल,
हौसले परवाज हैं....

बाधाओं को हँस कर गले लगाते,
जब तूफाँ में डूब रहा जहाज है ,
उनके ही सर पर ताज है ,
जिनके हौसले परवाज हैं ....

वर्जनाओं की बेड़ियों में जकड़ी
बेटियां देने लगीं नित आवाज हैं,
छूती आसमां ,निराले अंदाज हैं
हौसले परवाज हैं ....

बेईमानों का करना इलाज है
ये मद में डूबे हुए गजराज हैं,
ले आयें जग में सुराज हैं ,
हौसले परवाज हैं....

फांसी पर झूलता किसान और
गोदामों में सड़ता अनाज है
आओ बदलें समाज के रिवाज
 हौसले परवाज हैं....

पालन उचित रीति रिवाज का,
सुखी जीवन का यही राज है ।
जीवन में होगा ऋतुराज ,
हौसले परवाज हैं....

उद्घोष है नव समाज का
धैर्य विवेक मिजाज है,
इलाज हुआ पत्थरबाज का
और हौसले  परवाज हैं....

स्वरचित
अनिता सुधीर












5 comments:

  1. आशा जगाती हुई उत्साहवर्द्धन करती, सिंह(सिंहनी)-गर्जन करती रचना ... नमन ...

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में " सोमवार 30 सितम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. वाह!!खूबसूरत रचना !

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  4. बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.

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