धुरी
नारि धुरी परिवार की,जीवन का आधार ।
बिन उसके सूना लगे,अपना घर संसार ।।
कैसे अब ये दिन कटे,पत्नी अब नहि साथ।
बच्चों की माता बने ,लिये दायित्व माथ ।।
मासूमों को देख के,होती मन में पीर।
कैसे इनको पालती ,धरे रही तुम धीर।।
जब तक मेरे सँग रही,समझ न पाया मोल।
विधि का विधान कब टला,कड़वा सच ये बोल ।।
स्वरचित
अनिता सुधीर
बहुत उम्दा
ReplyDeleteJee आ0 हार्दिक आभार
Deleteवाह बहुत खूब
ReplyDeleteJee आ0 हार्दिक आभार
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